UP: बाबा रसिका पागल की मौत हुई थी या हत्या? चित्र विचित्र महाराज पर लगा आरोप | Vrindavan Sant Samaj on Bhajan singer Baba Rasika Pagal Murder mystery


बाबा रसिका पागल की मौत हुई थी या हत्या?
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में आज साधू-संतों ने नामचीन गायक बाबा रसिका पागल की मौत के मामले को लेकर अहम बात कही. ब्रज के प्रमुख संतो ने मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर निस्तारण करने पर एक राय जताई है. संतों का मानना है कि प्रख्यात भजन गायक चित्र विचित्र पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराना न्यायोचित नहीं है. करीब ढाई साल पहले भक्ति संगीत गायक संत बाबा रसिका पागल की मौत हो गई थी.
संत रसिका पागल की हत्या के आरोप में उन्हीं के दो शिष्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. चित्र-विचित्र बंधुओं सहित छह नामजदों पर दवाओं की ओवरडोज देकर बाबा की हत्या करने का आरोप है. बाबा की मौत के वक्त ये बात कही गई थी की बाबा की मौत एक लंबी बीमारी के चलते हुई थी. उनकी मौत के बाद हरिदसीय संप्रदाय के प्रमुख संतो की सहमति से बाबा के शिष्य मोहिनी शरण बाबा को आश्रम का उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन आश्रम पर स्वामित्व को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी रही.
बाबा की हत्या का आरोप
करीब ढाई साल बाद बाबा रसिका पागल के एक अन्य शिष्य विष्णु बाबरा ने बाबा की हत्या का आरोप लगाते हुए न्यायलय में एक याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए प्रख्यात भजन गायक चित्र बिहारी दास उर्फ सुमित, विचित्र बिहारी दास उर्फ तरुण, मोहिनी शरण बाबा उर्फ मोहित, देव खोसला, मुकेश और राजमाता राजरानी के विरुद्ध मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर कोतवाली वृंदावन में मुकदमा दर्ज कराया गया था.
जल्द हो मामले का निपटारा
27 अप्रैल को दर्ज हुए मुकदमे के करीब महीने भर बाद धार्मिक नगरी के प्रमुख संतो ने इस प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही की मांग की है. मंगलवार को ज्ञान गुदड़ी स्थित मालुकपीठ में संत समाज की बैठक में मलुक पीठाधीश्वर महंत राजेंद्र दास, गीता मनीषी संत ज्ञानानंद, महंत किशोर दास महाराज ने एक राय से पूरे प्रकरण को एक सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए कहा कि बाबा रसिका पागल की मृत्यु को ढाई साल का समय बीत चुका है. यह सर्वविदित है कि बाबा चित्र ,विचित्र ने अस्वस्थ होने पर बाबा रसिका पागल की काफी सेवा की थी. अगर विष्णु बाबरा को इस मामले में कोई संदेह था तो संतो के आपसी सहयोग से सुलझा सकते थे, क्योंकि ऐसे मुकदमों से पूरे संत समाज की बदनामी होती है. उनका कहना है कि अब भी इस प्रकरण को मिलजुलकर आपसी सहमति से तय किया जा सकता है और पुलिस भी इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए.