UP में बीजेपी का मिशन 75 प्लस, क्या इस दांव से मिलेगा दिल्ली का ताज? | Mission 75 Plus of BJP, know what is the strategy in this state


लोकसभा चुनाव 2024 के लिए यूपी में बीजेपी की रणनीति
उत्तर प्रदेश में जिसकी जीत होगी वही दिल्ली की गद्दी पर राज करेगा. बीजेपी के लिए गुजरात के बाद यूपी ही सबसे मजबूत गढ़ है. जबकि विपक्ष के लिए ये राज्य सबसे कमजोर कड़ी है. बीजेपी के विजय अभियान को रोकने के लिए विपक्षी हर तरह का प्रयोग फेल रहा है. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन भी बीजेपी के सामने नहीं टिक पाया. इस बार इंडिया गठबंधन के बैनर तले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिल कर चुनाव लड़ना चाहती है. दोनों पार्टियां अभी तो एक-दूसरे के खिलाफ लड़ती नज़र आ रही हैं. समाजवादी पार्टी PDA मतलब पिछड़े, दलित और मुस्लिम वोट के दम पर ताल ठोंक रही है. कांग्रेस भी जातीय जनगणना के बहाने इसी सामाजिक समीकरण के भरोसे है. बीएसपी अध्यक्ष अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है.
बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोशल इंजीनियरिंग है. गैर यादव पिछड़े, गैर जाटव दलित और फॉरवर्ड कास्ट के बूते बीजेपी हर तरह का चुनाव जीतती रही है. बीजेपी के हिंदुत्व और जातीय समीकरण के आगे विपक्ष की एक नहीं चल पा रही है. बीजेपी ने संगठन के लिहाज से बने 98 जिलों के लिए प्रभारियों के नाम की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही सभी छह क्षेत्रों के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिए गए हैं. इसी हफ्ते सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए प्रभारी भी तय किए जा सकते हैं. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पहले ही सभी अस्सी लोकसभा क्षेत्रों में विस्तारक भेज चुका है. पिछले आम चुनाव में बीजेपी को 62 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटें मिली थीं. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार 75 प्लस का लक्ष्य रखा है.
जाति जनगणना पर बीजेपी की खामोशी
भले ही अभी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच किच-किच जारी है. लेकिन दोनों ही पार्टियों का एजेंडा एक है. राहुल गांधी और अखिलेश यादव जातिगत जनगणना पर बैटिंग कर रहे हैं. बीजेपी इस मुद्दे पर खामोश है. लेकिन पार्टी का पूरा फ़ोकस जमीन पर अपने सोशल इंजीनियरिंग को बचाए रखने का है. इसीलिये जिला प्रभारियों के नाम भी उसने जाति देख कर तय की है. जिस जिले में जिस जाति की जरूरत समझी गई उस बिरादरी के नेता को जिम्मेदारी दी गई है. कुछ जगहों पर संगठन में बेहतर काम करने वाले को ये काम दिया गया. आगरा जिले के दलितों का गढ़ माना जाता है. इस समाज के जाटव और वाल्मीकि वोटरों का यहां दबदबा है. इस बात का ख़्याल रखते हुए पार्टी ने अमित वाल्मीकि को जिले का प्रभारी बनाया है.
सोशल इंजीनियरिंग पर मजबूत पकड़
कौशलेंद्र पटेल वाराणसी के मेयर रह चुके हैं. वे फूलपुर से लोकसभा का उप चुनाव भी लड़ चुके हैं. केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी. पार्टी ने उन्हें प्रतापगढ़ का जिला प्रभारी बनाया है. जहां पटेल वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. बीजेपी ने ये सीट 2014 में अपना दल को दी थी. बीजेपी ने मानवेन्द्र लोधी को अलीगढ़ का प्रभारी बनाया है. जहां लोधी जाति के वोटरों का दबदबा है. स्थानीय स्तर पर जातिगत समीकरण को फूल प्रूफ बनाने के लिए बीजेपी ने प्रभारियों का चयन किया है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व किसी भी सूरत में सोशल इंजीनियरिंग पर मजबूत पकड़ को ढील नहीं देना चाहता है.
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