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UP: वाराणसी का वो चर्च, जहां भोजपुरी में ही गाया जाता है कैरोल; क्या है कहानी?

UP: वाराणसी का वो चर्च, जहां भोजपुरी में ही गाया जाता है कैरोल; क्या है कहानी?

भोजपुरी चर्च

दुनियाभर में क्रिसमस की धूम है. देश के लगभग सभी चर्च इस समय लोगों से भरे हुए हैं. क्रिसमस पर अलग अलग तरीके से यीशु के जन्मदिन को मनाने की तैयारी में लोग जुटे हुए हैं. यूं तो क्रिसमस पर दुनिया भर में कैरोल गाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पिंडरा के कई परिवार ऐसे हैं, जो भोजपुरी में कैरोल गाते हैं. यहां पर मसीही समाज के लोग क्रिसमस की तैयारी में जुटे हुए है.

पिंडरा में करीब 250 मसीही परिवार भोजपुरी चर्च में क्रिसमस मनाने के लिए जुटते हैं. क्रिसमस पर यीशु के लिए भोजपुरी में कैरोल गाने की परंपरा पूर्वांचल से ही शुरू हुई. पिंडरा के भोजपुरी चर्च में मसीही समाज की महिलाएं भी क्रिसमस से एक दिन पहले से ही कैरोल गाने लग जाती हैं. ये कुछ-कुछ सोहर से मिलता जुलता है, जो पूर्वांचल में बच्चों के जन्म पर गाया जाता है.

ये है भोजपुरी कैरोल

ऊषा मसीही पिछले कई सालों से क्रिसमस पर भोजपुरी में कैरोल गाती हैं. उनका कहना है कि जैसे जन्माष्टमी पर कान्हा के लिए और रामनवमी पर राम चंद्र जी के लिए सोहर गाया जाता है. वैसे ही हम क्रिसमस पर यीशु के लिए “बैतलहेम में जनम लियले हो मरियम के ललनवा, सब लोग झूमें लगले हो प्रभु के भवनवा, यीशु के दरबार हमें प्यारा लगत है. यीशु के नाम सुखदाई भजन करे रे भाई, ई जीवन दुई दिन का” तरह के कैरोल गाते हैं.

भोजपुरी चर्च का कॉन्सेप्ट

भोजपुरी चर्च के पास्टर चंद्रिका ने बताया कि क्रिसमस पर सुबह दस बजे से महिलाएं, बच्चे युवा और बुजुर्ग सभी जुटते हैं और प्रभु यीशु के प्रेम में कैरोल गाते हैं. दोपहर एक बजे केक कटता है और लोगों में बंटता है. रात दस बजे से फिर से कैरोल होता है और कैंडल जलाई जाती है. क्रिसमस के दिन यीशु की खास प्रार्थना होती है. भोजपुरी चर्च का कॉन्सेप्ट पूर्वांचल के लोगों को बाइबिल का संदेश भोजपुरी में देने के लिए लाया गया. पुरबिया लोगों में इंग्लिश समझने की दिक्कत और हिन्दी में भी असहजता से भोजपुरी चर्च की स्थापना को जरूरी समझा गया.

34 साल पुराना है ये चर्च

इस भाषा में लोग बातचीत करते हैं और जो उनकी संस्कृति है उसी भाषा में चर्च शुरू किया गया. इस तरह चर्च को नाम भी भोजपुरी चर्च दिया गया. पिंडरा का ये भोजपुरी चर्च 1992 में शुरू किया गया. ये हर संडे को सुबह 10 से 12 बजे तक खुलता है और बाइबिल का संदेश भोजपुरी में सुनाया जाता है.पास्टर चंद्रिका बताते हैं कि सिर्फ मसीही समाज के लोग ही नहीं बल्कि आस पास के दूसरे समाज के लोग भी क्रिसमस पर यहां कार्यक्रम में शामिल होते हैं, जिनके घरों में लोग बीमार होते हैं. उनके लिए चर्च में विशेष प्रार्थना भी की जाती है



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