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UP की इस मस्जिद में मुस्लिमों के लिए ‘नो एंट्री’, 186 साल पहले हुआ था निर्माण; क्या है मामला? | Muzaffarnagar Jailer bans entry in 1838 built masjid in Jail for Muslims

UP की इस मस्जिद में मुस्लिमों के लिए 'नो एंट्री', 186 साल पहले हुआ था निर्माण; क्या है मामला?

मस्जिद में मुस्लिमों की “नो एंट्री“

यूपी के मुजफ्फरनगर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. मुजफ्फरनगर के जेल परिसर में अंग्रेजों के जमाने से स्थित मस्जिद में मुसलमानों को नमाज पढ़ने से रोका गया है. सौ साल से ज्यादा लंबे समय से इस मस्जिद में नमाज पढ़ रहे आसपास के मुस्लिमों के लिए अब यहां ‘नो एंट्री’ कर दी गई है. इसको लेकर मुस्लिमों में भारी रोष देखने को मिला. फजीहत के बाद इस मामले में जेल प्रशासन ने सफाई दी है कि जेल परिसर एक संवेदनशील इलाका है. सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी लोगों के लिए ये व्यवस्था की गई है.

साल 1838 में बनी मुजफ्फरनगर की जेल के परिसर में अंग्रेजी हुकूमत के जमाने से एक मंदिर और मस्जिद एक दूसरे के बराबर में बने हैं. दोनों में ही 100-150 सालों से जेल परिसर और आसपास रहने वाले हिंदू-मुस्लिम अपने-अपने धर्म के मुताबिक ऊपर वाले की इबादत करने आते हैं, लेकिन अभी जेल परिसर में स्थित मस्जिद में आसपास रहने वाले मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से रोक दिया गया. जेल के बाहरी गेट पर स्थित पुलिस चौकी से ही नमाजियों को वापस लौटा दिया गया. जेल प्रशासन इस व्यवस्था के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दे रहा है.

जेलर पर लगाए गंभीर आरोप

जेल प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम के विरोध पर स्थानीय लोगों ने जेलर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आसपास रहने वाले मुस्लिमों का कहना है कि जेलर द्वारा उनके साथ बदतमीजी की गई और सलाखों के पीछे भेजने की धमकी दी गई. जब वो लोग नमाज के लिए मस्जिद में जा रहे थे तो उन्हें सुरक्षा कर्मियों द्वारा रोका गया और कहा गया कि जेलर ने नमाज के लिए किसी को भी अंदर आने से रोकने का आदेश दिया है. स्थानीय निवासी मोहम्मद रफी का आरोप है कि इसके बाद वो लोग जेलर से मिले तो उन्होंने धमकी दी और साफतौर पर जेल परिसर की मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए एंट्री देने से इनकार कर दिया.

ये था पूरा विवाद

ये पूरा विवाद सोमवार की रात उस वक्त शुरू हुआ, जब स्थानीय निवासी दिव्यांग मोहम्मद फबी खान जेल परिसर की इस मस्जिद से नमाज अदा करके वापस लौट रहे थे. उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने रोका लिया और कथित तौर पर जेल परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए दोबारा नहीं आने की हिदायत दी. मोहम्मद फबी खान का आरोप है कि उन्होंने इस बात का विरोध जताया तो सुरक्षाकर्मी द्वारा उसके साथ बदतमीजी की गई. इसी बीच जेलर भी वहां आ गए और उन्होंने भी साफतौर पर जेल परिसर की मस्जिद में नमाज के लिए नहीं आने की हिदायत दी. फबी खान का आरोप है कि उसके साथ जेलर ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया और बदतमीजी की.

जेल प्रशासन ने क्या कहा?

वहीं दूसरी तरफ, पूरे मामले में फजीहत होने के बाद जेल अधीक्षक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सभी आरोप बेबुनियाद और निराधार है. सुरक्षा की दृष्टि से केवल बाहरी लोगों को जेल परिसर के अंदर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है. जेल परिसर में कारागार कर्मचारियों के परिवार रहते हैं. उनकी सुरक्षा को देखते हुए बाहरी लोगों के प्रवेश को रोका गया है.

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