US Los Alamos National Laboratory new study find some earthquakes may actually be secret nuclear tests

Earthquake Secret: वाशिंगटन से आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा के क्षेत्र में नई चिंता खड़ी कर दी है. लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के भूकंप वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च स्टडी में दावा किया है कि कुछ भूकंप वास्तव में सीक्रेट न्यूक्लियर टेस्ट भी हो सकते हैं. यह रिसर्च जोशुआ कारमाइकल के नेतृत्व में की गई. इसे अमेरिका के सीस्मोलॉजिकल सोसायटी के बुलेटिन में प्रकाशित किया गया है.
स्टडी के अनुसार, भूकंप से लगने वाले झटकों और सीक्रेट न्यूक्लियर ब्लास्ट के झटकों के बीच अंतर करना मुश्किल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही तकनीक ने काफी प्रगति कर ली है, फिर भी जब भूकंप और परमाणु विस्फोट एक साथ होते हैं या उनके संकेत मिल जाते हैं तो सबसे आधुनिक डिजिटल डिटेक्शन तकनीक भी सही पहचान नहीं कर पाती.
उत्तर कोरिया का उदाहरण लिया गया
रिसर्च में उत्तर कोरिया का उदाहरण प्रमुख रूप से दिया गया है. पिछले 20 साल में उत्तर कोरिया ने छह परमाणु परीक्षण किए हैं. परीक्षण स्थलों के आसपास भूकंप निगरानी उपकरणों की संख्या बढ़ने के बाद यह देखा गया कि इन क्षेत्रों में लगातार छोटे-छोटे भूकंप आते रहे हैं. इससे यह स्पष्ट हुआ कि परमाणु परीक्षण और भूकंप के संकेत एक-दूसरे में इतने अधिक घुल सकते हैं कि अंतर कर पाना कठिन हो जाता है.
मुद्दे को सुलझाने के लिए किया एक्सपेरिमेंट
जोशुआ कारमाइकल और उनकी टीम ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पी-तरंगों और एस-तरंगों के रेसियो का विश्लेषण किया. उन्होंने एक तकनीक विकसित की, जो 1.7 टन के गुप्त दबे हुए विस्फोट का 97 प्रतिशत सटीक पता लगा सकती है. लेकिन जब भूकंप के झटके और विस्फोट की शॉकवेव 100 सेकंड के भीतर और 250 किलोमीटर के दायरे में आती है तो इसी तकनीक की सटीकता घटकर मात्र 37 प्रतिशत रह जाती है.
शोध का सबसे बड़ा नतीजा
इस शोध का सबसे बड़ा नतीजा यह है कि जब भूकंप के झटके और परमाणु परीक्षण के झटके एक साथ मिलते हैं तो सबसे अच्छे सिग्नल डिटेक्टर भी धोखा खा सकते हैं. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जिन क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं वहां गुप्त परमाणु परीक्षण करना और उन्हें छिपाना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा.