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लखनऊ: श्रीराम औद्योगिक अनाथालय की खिड़की काटकर फरार हुईं 9 लड़कियां, क्या है बहराइच से कनेक्शन?

लखनऊ: श्रीराम औद्योगिक अनाथालय की खिड़की काटकर फरार हुईं 9 लड़कियां, क्या है बहराइच से कनेक्शन?

लखनऊ के अनाथालय से भागी लड़कियों ने बताई वजह

Shriram Industrial Orphanage: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अलीगंज स्थित श्रीराम औद्योगिक अनाथालय एक बार फिर चर्चा में है. इस अनाथालय का नाता हमेशा विवादों से रहा है. अब इस अनाथालय से 9 लड़कियां खिड़की की जाली काटकर फरार हो गईं. हालांकि, पुलिस ने इनमें से दो को पकड़ने में कामयाबी हासिल कर ली है. बाकी 7 की तलाश जारी है. पकड़ी गई लड़कियों में से एक बहराइच की रहने वाली है. इन दोनों लड़कियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अनाथालय में पढ़ने नहीं दिया जा रहा था.

लड़कियों के गायब होने की सूचना पुलिस को दी गई. इसके बाद पुलिस ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए केस दर्ज किया और सीसीटीवी फुटेज खंगालना शुरू कर दिया. पुलिस ने 3 घंटे में दो लड़कियों को बरामद कर लिया. इनकी उम्र लगभग 16 से 17 साल बताई जा रही है. एक लड़की जम्मू की और दूसरी लड़की बहराइच की रहने वाली है.

लड़कियों को किया गया शिफ्ट

श्रीराम औद्योगिक अनाथालय से लड़कियों के फरार होने के बाद संस्था के अधिकारी हरकत में आए. डीएम के आदेश के बाद अनाथालय से कुल 33 लड़कियों और 2 नवजात बच्चों को शिफ्ट किया गया. इन्हें मोहान रोड स्थित राजकीय बालिका सुधार गृह में शिफ्ट किया गया है. इन लड़कियों को CWC के जरिए अनाथालय में लाया गया था.

श्रीराम औद्योगिक अनाथालय का विवादों से पुराना नाता रहा है. 2018 में भी यहां से 3 बच्चे फरार हुए थे. इस अनाथालय पर बच्चे बेचने का आरोप भी लग चुका है, जिसके बाद इसकी काफी बदनामी हुई थी. अब एक बार फिर श्रीराम औद्योगिक अनाथालय विवादों से घिर गया है.

पकड़े जाने पर लड़की ने क्या कहा?

पुलिस ने जिन लड़कियों को बरामद किया है, उन्होंने बताया कि उन्हें अनाथालय में कोई पढ़ने नहीं देता है. यही कारण था कि लड़कियां यहां से फरार हो गईं. पुलिस ने अन्य लड़कियों की तलाश में रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप और उनके जिलों को जाने वाले मार्गों पर तलाश शुरू कर दी है. उनके घर वालों से भी संपर्क किया जा रहा है.

अलीगंज थाना क्षेत्र में श्रीराम औद्योगिक अनाथालय स्थित है. इस अनाथालय में 45 लड़कियां हैं. ये लड़कियां 3 महीने पहले लाई गई थीं. सभी अलग-अलग जिलों की रहने वाली हैं. यह पोक्सो एक्ट की पीड़िता हैं. अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी इसलिए इनको अनाथालय लाया गया था. यह अनाथालय 1911 से चल रहा है.



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