आप BJP से अलग कैसे? सलीम शेरवानी का अखिलेश से सवाल; सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा | Saleem Iqbal Sherwani asked Akhilesh Yadav what different from BJP resign National General Secretary Post


सलीम इकबाल शेरवानी और अखिलेश यादव
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही समाजवादी पार्टी के नेताओं में फूट सी पड़ गई है. चुनाव से पहले अखिलेश यादव पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) समुदाय को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. पीडीए मुहिम के रास्ते अखिलेश 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में पार्टी की नइय्या पार लगाना चाहते हैं. दूसरी ओर उनकी ही पार्टी के नेता अखिलेश यादव से नाराजगी जाहिर कर उनके फैसलों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. बदायूं से 5 बार के सांसद रहे मुस्लिम समाज के बड़े नेता सलीम इकबाल शेरवानी ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से रविवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि वह अगले कुछ हफ्तों में अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लेंगे.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने के साथ ही सलीम शेरवानी ने एक पत्र जारी किया है. इस पत्र में उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कई सवाल किए हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्यसभा के चुनाव में मुसलनमानों को अनदेखा किया गया है. उससे यह दर्शाता है कि सपा और भाजपा अलग कैसे हैं?
सपा ने मुसलमानों से बनाई दूरी
सलीम शेरवानी ने कहा कि वह काफी समय से प्रदेश के मुसलमानों की स्थिति के बारे में चर्चा करते रहे हैं. प्रदेश का मुसलमान आज अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहा है. समाजवादी पार्टी ने भी मुसलमानों से दूरी बना ली है.उन्होंने कहा कि पार्टी की परंपरा के अनुसार आपसे मुस्लिम समाज के लिए राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया गया था. भले ही इसमें उनका नाम न होता किसी दूसरे मुस्लिम शख्स को राज्यसभा का टिकट दिया जाना चाहिए था. अखिलेश के नेतृत्व में पार्टी ने इस पर कोई विचार नहीं किया. पार्टी का यह रवैया दिखाता है कि अखिलेश खुद पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं.
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बेमानी साबित हो रहा विपक्षी गठबंधन
शेरवानी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है. कोई भी दल और बड़ा नेता इसके प्रति गंभीर नहीं दिख रहा है. जिस हिसाब से पार्टी ने मुसलमानों की अनदेखी की है. उससे लगता है कि अखिलेश यादव अल्पसंख्यकों के प्रति जिम्मेदार नहीं है. इसलिए मुझे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देना पड़ा है.