पूजा आरती के बाद श्रद्धालु भी पहुंचे ज्ञानवापी, बाहर से कराया जा रहा व्यास तहखाने का दर्शन | gyanvapi vyas tahkhana devotees performed worship kashi vishwanath mandir varansi police stwas


व्यास जी तहखाने का बाहर से दर्शन करते श्रद्धालु.
ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास जी तहखाने में गौरी-गणेश की पूजा-आरती के बाद अब श्रद्धालुओं को भी दर्शन-पूजन कराया जा रहा है. श्रद्धालुओं को बाहर से ही दर्शन-पूजन कराया जा रहा है. सुरक्षा-व्यवस्था को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस के जवान वहां मौजूद हैं. आज ही व्यास जी तहखाने में पूजा-आरती को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने टाइम टेबल जारी किया है. दिन में पांच बार व्यास तहखाने में पूजा-आरती होगी. पहली मंगला आरती सुबह साढ़े तीन बजे होगी, जबकि आखिरी रात को 10 बजे शयन आरती होगी.
बता दें कि बीते बुधवार को वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने व्यास परिवार के सदस्य शैलेंद्र कुमार पाठक की याचिका पर फैसला सुनाते हुए व्यास जी तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार उन्हें दे दिया. कोर्ट ने जिला प्रशासन को आदेश दिया कि सात दिन में व्यास तहखाने में नियमित पूजा-पाठ को लेकर व्यवस्था कराएं. साथ ही व्यास परिवार और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्र्स्ट के साथ मिलकर एक पुजारी का चयन करें, जो वहां पर नियमित पूजा-पाठ करें.
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25 सितंबर 2023 को जब सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने व्यास जी तहखाने में पूजा-पाठ के अधिकार को लेकर याचिका दायर की थी तो कोर्ट से दो मांग की थी. उनकी पहली मांग थी कि व्यास तहखाने का उन्हें अधिकार मिले, जबकि दूसरी मांग पूजा-पाठ को लेकर थी. पहली मांग पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने 17 जनवरी को फैसला सुनाया था और वाराणसी डीएम को व्यास तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया था. साथ ही अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को तहखाने की चाभी डीएम को सौंपने को कहा था.
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चूंकि तहखाने की चाभी डीएम के पास थी तो कोर्ट का आदेश आने के बाद वाराणसी कमिश्नर कौशल राज शर्मा, डीएम एस. राजलिंगम और पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन बुधवार रात साढ़े 10 बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पहुंचे. डीएम की देख-रेख में व्यास जी तहखाने का दरवाजा खोला गया. दरवाजा खोलने के बाद वहां की साफ-सफाई और शुद्धिकरण किया गया. शुद्धिकरण के बाद तहखाने में कलश की स्थापना की गई.
पूजा-पाठ को लेकर व्यास परिवार ने क्या कहा?
व्यास परिवार के सदस्य जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले आचार्य गणेश्वर द्रविड़ ने तहखाने में कलश स्थापित किया. मंत्रोच्चार कर गौरी-गणेश की आरती की. सभी देवताओं का स्मरण कर पूजन किया गया. उन्हें नैवैद्य, फल अर्पित किए गए और भोग लगा कर मंगला आरती उतारी गई.