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Sawan 2023 TrimbakeshwarJyotirlinga Gautam Rishi Connection Know Katha History

Trimbakeshwar Jyotirlinga: सावन के इस पावन दिनों में भक्त शिव जी का जलाभिषेक करने वालों के समस्त पापों का शमन हो जाता है, यहीं मान्यता है सावन में 12 ज्तोतिर्लिंग का नाम लेने से साधक के हर कष्ट दूर हो जाते हैं.विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है त्र्यंबकेश्वर मंदिर.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में त्रिदेव की पूजा एक साथ होती है. ये द्वादश ज्योतिर्लिंग का आठवां ज्योतिर्लिंग है. आइए जानते हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता, महत्व और कथा.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में त्रिदेव का वास (Trimbakeshwar Jyotirlinga History)

महाराष्ट्र नासिक के गोदावरी तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे अद्भुत माना जाता है. 12 ज्योतिर्लिंग में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ही ऐसा धाम है जहां तीन शिवलिंग एक ही जगह विराजमान है. इस लिंग के तीन मुख (सिर) हैं, जिन्हें भगवान ब्रह्मा,  भगवान विष्णु और एक भगवान रूद्र का रूप माना जाता है. त्र्यबंकेश्वर मंदिर के पास ब्रह्मगिरी पर्वत शिव स्वरूप माना जाता है. यहां नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है. मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, यहां पूजा करने से उनका ये खतरनाक दोष समाप्त हो जाता है.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Trimbakeshwar Jyotirlinga Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे. गौतम ऋषि से यहां मौजूद बाकी लोग ईर्ष्या करते थे. द्वेष के भाव में एक बार सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि के साथ छल किया और उनपर गौहत्या का आरोप लगा दिया. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए अन्य ऋषियों ने उनसे मां गंगा को यहां लाने के लिए कहा. देवी गंगा का पृथ्वी पर आना संभव न था, इसके लिए ऋषि गौतम ने पार्थिव शिवलिंग की स्थापना की और पूजा करने लगे.

गौतम ऋषि ने पाई यहां पापों से मुक्ति

गौरी-शंकर ऋषि की सच्ची श्रृद्धा देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें साक्षात दर्शन दिए. भगवान शिव ने गौतम  ऋषि से वरदान मांगने को कहा. गौतम ऋषि ने गंगा माता को यहां उतारने का वर मांगा. देवी गंगा ने भी ऋषि की विनती स्वीकार कर ली लेकिन एक शर्त पर, उन्होंने कहा कि वह तभी यहां आएंगी जब महादेव इस जगह वास करेंगे. गंगा जी की इच्छा को स्वीकार करते हुए  शिवजी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए. कालांतर में गंगा नदी को गोदावरी के रूप में जाना जाता है. इस तरह शिव जी यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हुए. जब बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं तब यहां महाकुंभ होता है.

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